मौत का अलाइनमेंट:20 कराेड़ में बनी किसान धर्मकांटे से SFS तक 5 किमी सड़क में 30 गड्ढे, 2 साल में 27 हादसों में 10 की मौत
सड़क धंसने से डिवाइडर जैसी दिखती है
न्यू सांगानेर राेड पर 7 साल पहले 20 करोड़ रुपए की लागत से किसान धर्मकांटे से एसएफएस तक 5 किलोमीटर में बनी सड़क इन दिनों मौत का अलाइनमेंट बन गई है। इतने दायरे में ही सड़क 30 स्थानों से टूटी हुई है। यहां 2 साल में 27 हादसे हो चुके हैं। इनमें 10 लोगों की मौत हुई और 23 लोग घायल हुए हैं। यह हाल तब है जब मेंटीनेंस पर 15 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।
जेडीए की इंजीनियरिंग विंग का तर्क है ओवरलाेड वाहनाें के गुजरने से सड़क बार-बार टूट रही है। भास्कर टीम ने किसान धर्म कांटे से लेकर एसएफएस चाैराहे तक दाैरा किया। 30 जगह दस फीट से 500 फीट तक लंबाई में सड़क टूटी मिली। भारी वाहनाें के गुजरने से राेड की डामर खिसक कर साइड में हाे गई। गर्मी के कारण सड़क का लेवल और ज्यादा खराब हाे गया है। एक बार ताे लगता है सड़क पर कहीं खड़े डिवाइडर बना दिए गए हों। इनकी वजह से कार व बाइक चालकाें काे खासी परेशानी हाेती है।
इसका समाधान क्या है?
सड़क आबादी के बीच है, जहां पर भारी वाहन गुजरते हैं। इन भारी वाहनाें की टाेंक राेड, डिग्गी मालपुरा राेड, आगरा राेड व दिल्ली-अजमेर राेड से आवाजाही है। भारी वाहनाें को रिंग राेड से शहर के बाहर से ही डायवर्ट करना चाहिए। साथ ही, सड़क पर मजबूत करनी चाहिए।
जेडीए की इंजीनियरिंग विंग का तर्क: हमने सड़क ताे सही बनाई थी पर ओवरलाेड ट्रकों की वजह से क्षतिग्रस्त हुई
न्यू सांगानेर राेड बनी - 2014-15 में
सडक निर्माण पर खर्च - 20 कराेड़ रुपए (बीआरटीएस काॅरिडाेर की सड़क, दाेनाें तरफ 3-3 लेन सड़क, सर्विस राेड)
सालाना मेंटीनेंस किया गया अब तक खर्च - 15 लाख रुपए
हादसे गत 5 माह में 12 एक्सीडेंट हुए हैं जिनमें एक की माैत हाे गई
2020-21 : 18 एक्सीडेंट, 16 घायल, 6 मौत
2021-22 : 9 हादसे, 7 घायल और 4 लोगों की मौत
24 घंटे में वाहन गुजरते हैं ट्रक व मिडी लाेड वाहन-5000, कारें-15 से 18 हजार, बाइक 20 हजार से अधिक
बाइक, कार चालकों की परेशानी बढ़ी
स्वर्ण पथ, रजत पथ, धनवंतरी हाॅस्पिटल के पास, वीटी रोड, विजय पथ चाैराहे व एसएफएस चाैराहे के पास सड़क ज्यादा टूटी है। भारी वाहनाें से टायराें की लाइन में ताे सड़क धंस गई और बीच व साइडाें से ऊपर उठ गई।
सही दबाव नहीं बनाया, इसलिए अलाइनमेंट बिगड़ा
सिविल इंजीनियर और एमएनआईटी के प्राे. अनिरुद्ध माथुर का कहना है कि सड़क बनाते समय सभी परताें पर राेलर से सही से दबाव नहीं देने से समस्या आई है। राेड केपेसिटी से अधिक वाहन चलने से उनके टायराें की जगह नाली बन जाती है। अगर नई सड़क बनानी है ताे सबसे पहले ट्रेफिक का अनुमान लगाया जाए, फिर उसी हिसाब से सड़क की दुबारा से डिजाइन करें। सड़क बनाते समय क्वालिटी का प्रॉपर ध्यान रखें और सभी परत बिछाने पर उसकाे सही से प्रेशर किया जाए।
एमएनआईटी के राेड एक्सपर्ट डाॅ. बीएल स्वामी ने बताया गर्मी ज्यादा हाेने से बिटुमिन पिघल रहा है। एक ही रूट पर लगातार भारी वाहनाें की आवाजाही हाेने से व्हील पाथ पर रेटिंग हाे गई है। यहां डामर की ऊपरी लेयर हटाकर राेड एरिया समतल करके 40 एमएम की डामर व कंक्रीट की परत बिछानी चाहिए, ताकि आगे से राेड का लेवर नहीं बिगड़े।
ओवरलाेड ट्रकों से सड़क टूट गई: चीफ इंजीनियर
जेडीए के चीफ इंजीनियर अशाेक चाैधरी का कहना है कि एक ही जगह पर हैवी ट्रैफिक की वजह से एक जगह ताे सड़क धंस जाती है और बची हुई उठ जाती है। ऐसा कई बार हाे चुका है। जल्द ही सुधार कार्य करवा दिया जाएगा। इस सड़क काे 2014-15 में बनाया गया था। इस पर ओवरलाेड ट्रक भी चलते है, लेकिन उस हिसाब से इसकाे डिजाइन नहीं किया गया है। इसलिए यह सड़कें क्षतिग्रस्त हाे जाती हैं।
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